What Does Self-Realization
Mean?
आत्म-जागृति या आत्म-साक्षात्कार के क्या मायने
हे? क्या मतलब हे जीवनमे इसका?
जब लोग सुनते हे या बोलते हे “आत्म साक्षात्कार”
तो वह किसी ऐसी दुनिया या कोई विस्मयकारक जगहो के ख़यालो मे खोये चले जाते हे जैसे की
हिमालय की पहाडीया एवं उसमे गुमनाम छुपी सी अनछुई कोई गुफा एवं उसमे बैठे हुए कोई अनंतयात्रा
को चले योगी-मुनि।
आपमे से भी बहुधा लोग जानना या समझना चाहते
तो हे ही की कौन हु मे? क्या हेतु हे मेरे इस जीवन का? पर अकसर ही रुक जाते हो इसी दुविधामे की कौन यह झंझटमे पड़े? कैसे सुलझाये इस गुत्थी को? न ही हम घरबार छोडकर जाने
को तैयार हे और न ही कोई उपाय दिखाता हे अपने आपको संसार से जानने का... दुर्भाग्यवश
‘धर्म एवं अध्यात्म’ के नाम पर लोक मानस
मे यही पनप रहा हे। लेकिन जब भी आप ऐसे किसी भी मुद्दे पर मानना प्रारंभ करे जिस विषय
का आपको कोई अनुभव नहीं, आप वास्तविकता का तल खो देते हे की जिस
वास्तविकता मे आप जी रहे हे।
परंतु श्री कौशिकजी, हमारे
स्पिरिचुयली इंटेलिजेंट गुरु, जिनके हृदयमे पुनः आविर्भाव हुआ
सत्य के एक अनभिज्ञ पथ “अनुवेध”- 'क्रांति मानस परिवर्तन की' जो की भारतवर्ष का एक पुरातन
ज्ञान-विज्ञान का मार्ग हे।
आजतक देखा जाये तो ज़्यादातर ईश्वर का मार्ग
बहुधा लोगो के जीवनमे सकर्म का नहीं अकर्म का बन जाता हे। लोग मानने लगते हे की वह
ईश्वर हमारी सारी जरूरत जैसे की भोजन, रहन-सहन एवं वस्त्र तथा व्यवसाय। परंतु वह भूल
जाते हे की उसी ईश्वरने आप पर अपना विश्वास कायम कर के ही आपको यहा भेजा हे और आप उसी
की लज्जा का कारण बनते जा रहे हे। चलो एक ऐसे मार्ग के विषयमे अपने बारेमे जाने जिस
वास्तविकता के विश्व मे आप जीवनयापन कर रहे हे।
अपने आप की नियमावली को पढे:
जैसे किसी भी वस्तु, वाहन या
उपकरण को चलाने का या सीखने का सबसे सरल माध्यम उसी के साथ मिलनेवाली नियमावली या सुचन
पुस्तिका होती हे, जिसे जानकर आप उन यंत्र, वाहन या उपकरण को ज्यादा अच्छे से एवं स्वतंत्रता से उपयोग मे ला सकते हे; ठीक उसी तरह जैसे आप अपने परिघमे आनेवाले लोगो के एवं मित्रो के बारे मे भी
तो आप जितना जानते हे उतना ही बेहतर आप उनसे कार्य ले सकते हे।
तो फिर आप अपने विषयमे इस विषय-वस्तु को समझने
मे क्यो असमर्थ हो जाते हे? जितना ही आप अपने इस सांसारिक जीवन के अस्तित्व
विषय मे भलीभाँति जान लेगे जो की “आप” हे, आप इतने ही सही से
अपने आप को संभाल पाएंगे एवं यही आपको जीवन के अधिक करीब लाएगा। और आत्म-साक्षात्कार
का पथ यही तो हो सकता हे की आप जिस जीवन को जी रहे हे उसी के प्रति ज्यादा सजग हो जाये।
कदाचित आप अपने विचारो के प्रति या अपने व्यक्तित्व एवं भावनाओ के प्रति कुछ जानते
हो किन्तु आप यह नहीं जानते की कैसे जीवन का सिद्धान्त चलता हे? कहा से जीवन आता हे तथा कहा जाता हे? क्या स्वभाव हे
जीवन का? अगर आप जिस यंत्र को चला रहे हे उस के विषयमे जानते
ही नहीं तो फी पूरी संभावना हे की अकस्मात से ही जीवन सम्पूर्ण हो जाए। कृपया सोच-विचार
करे। अगर आप आकस्मिकता पूर्ण जीवन जी रहे हे तो आप के जीवनमे अशांति एवं ऊहापोह होना
ही तथ्य हे, उसमे चिंता एवं भाय हो तो उसमे क्या आश्चर्य हो? आत्म-साक्षात्कार को कोई विस्मयकारक प्रक्रिया का हिसा जो की केवल योगी ही
समझ सके ऐसा मत सोचो। यह तो वह राह हे की अगर आप यहा जीवन को परिपूर्णता से चयन करना
जानते हो एवं चाहते हो तो, जीवन के इस पहलू को भी भलीभाँति पहचानो।
अगर न जान पाये तो कैसे आप एक शांतिपूर्ण जीवन को पाएगे? जब शांति
न होगी तो आनंद का तो स्थान होना भी असंभव होगा।
तो आए जाने अपने आप को। अपनी नियमावली या सुचन
पत्रिका को जाने एवं अपने जीवन के एवं जीवन मे होने वाले घटनाक्रमों के ज्ञाता बने।
“अनुवेध” से मानस परिवर्तन की इस क्रांति की आग आपके भीतर भी प्रजवलित हो यही प्रार्थना
सह... अस्तु।